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लातेहार विधानसभा चुनाव 2024: शिक्षा मंत्री बैजनाथ राम के सामने भाजपा का चेहरा कौन!
भाजपा के अंदर टिकट के दावेदारों की लम्बी फौज
निश्चित रुप से कैबिनेट मंत्री का यह टैग चुनावी अखाड़े में एक मजबूती प्रदान करेगा, लेकिन यदि भाजपा प्रकाश राम पर एक बार फिर से दांव लगाने का फैसला करती है, तो यह मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है. बैजनाथ राम के समान ही प्रकाश राम के पास भी चुनावी संघर्ष का लम्बा अनुभव है, कई पार्टियों के सफर के साथ ही चुनाव दांवपेंच में भी महारत हासिल है, इस हालत में प्रकाश राम को हल्के में लेने की थोड़ी सी भूल भी बैजनाथ राम पर भारी पड़ सकता है.
रांची: लातेहार और पलामू की सियासत में कभी राजद की मजबूत पकड़ मानी जाती थी, संयुक्त बिहार में झारखंड के इस हिस्से में लालटेन का अपना एक जलबा होता था. लेकिन एक अलग राज्य के रुप में झारखंड को अस्तित्व में आने के बाद परिस्थितियों में बदलाव होने की शुरुआत हुई और इसी बदलाव में मौजूदा हेमंत सरकार में शिक्षा मंत्री बैद्धनाथ राम की सियासत भी बहती दिखी. वर्ष 2000 जनता दल (यू) से विधानसभा पहुंचने वाले बैजनाथ राम को वर्ष 2005 में राजद के प्रकाश राम के हाथों करीबन पांच हजार मतों से शिकस्त के बाद जदयू में अपनी सियासत डूबती नजर आयी और वर्ष 2009 के मुकाबले में भाजपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरने का फैसला किया और बैजनाथ का यह दांव कामयाब भी रहा. 34,522 वोट के साथ कमल खिलाने में कामयाबी मिली तो राजद का लालटेन लेकर अखाड़े में उतरे प्रकाश राम को 34084 के साथ दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा.
इस बार फिर से भाजपा के टिकट के मजबूत दावेदार
लेकिन वर्ष 2014 में प्रकाश राम राजद का साथ छोड़ बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो मोर्चा के बनैर के साथ मैदान में कूदे, और भाजपा ने बैजनाथ राम को बेटिकट कर बृजमोहन राम पर दांव खेलने का फैसला किया, बैजनाथ राम इस बार मुकाबले से बाहर थें, बाजी प्रकाश राम के हाथ में आयी, प्रकाश राम को 71,189 के साथ जीत मिली तो भाजपा की ओर से बैटिंग करने उतरे बैजनाथ राम को 44,402 के साथ दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा. जबकि झामुमो की ओर मोर्चा संभालने वाले मोहन गंझू ने 23,022 वोट हासिल कर झामुमो की बढ़ती ताकत का सबूत पेश कर दिया. वर्ष 2019 में मुकाबले में एक बार फिर सियासी दलों के बीच चेहरे बदलने की कवायद शुरु हुई. इस बार भाजपा ने लातेहार में लालेटन जलाने वाले प्रकाश राम को अपना दांव खेला तो जदयू भाजपा की सवारी कर चुके बैधनाथ राम को झाममो ने अपना उम्मीदवार बनाया. इस मुकाबले में बाजी बैजनाथ राम के हाथ आयी, 76,507 के साथ बैजनाथ राम को जीत मिली तो राजद का लालटेन और बाबूलाल की कंधी छोड़ कमल थामने वाले प्रकाश राम को 60,179 को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा.
निर्दलीय अखाड़े में उतर 15 हजार वोट पाकर हौसला बुलंद
यदि हम इस उलटफेर को समझने की कोशिश करें, तो एक बात बेहद साफ है कि लातेहार की सियासत में पालाबदल खेल बेहद आम है. जीत और हार की संभावना के अनुरुप हर उम्मीदवार अपनी सियासी आस्था में बदलाव करता रहता है. मकसद सिर्फ जीत की वरमाला होती है, इस सियासी हालत में 2024 में लातेहार का चुनावी दंगल में मुकाबले की तस्वीर क्या होगी. किन-किन चेहरों की बीच मुकाबला होगा, फिलहाल यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. यदि हम मौजूदा सियासी समीकरण की बात करें तो एक बार फिर से बैजनाथ राम और प्रकाश राम के बीच मुकाबला देखने को मिल सकता है. हालांकि अंतिम समय में किसी बडे उलटफेर की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता. खास कर भाजपा किस चेहरे पर दांव लगाने का अंतिम फैसला करती है, जब तक टिकट वितरण नहीं हो जाता, उस वक्त तक संशय की स्थिति बनी रहेगी और इसका कारण है भाजपा के अंदर टिकट के दावेदारों की लम्बी फौज.
बताया जा रहा है कि इस वक्त लातेहार विधानसभा से ही करीबन आधा दर्जन चेहरे टिकट के मजबूत दावेदार हैं. इसमें एक बड़ा नाम वर्ष 2019 में निर्दलीय ताल ठोक कर 15,985 वोट हासिल करने वाले संतोष कुमार पासवान का है. संतोष कुमार पासवान की पहचान एक समाजिक कार्यकर्ता की है, लेकिन संसाधन के मोर्चे पर कमजोर बताये जाते हैं, बताया जाता है कि संतोष पासवान ने भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से अपनी चाहत का इजहार किया है.
चंदवा पश्चिमी से जिला परिषद सरोज देवी की दावेदारी
एक दूसरा नाम चंदवा पश्चिमी से जिला परिषद सरोज देवी का है. किसान मोर्चा और सहकारिता प्रकोष्ठ के सहारे प्रदेश भाजपा में सियासत गतिविधियों का संचालन करती रही सरोज देवी भी अपनी चाहत से प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल को अवगत करा दिया है. यदि इस बार भाजपा किसी महिला चेहरे पर दांव लगाने का फैसला करती है, तो सरोज देवी एक मजबूत दावेदार के रुप में सामने आ सकती है.
अनुसूचित जाति, प्रदेश सह कोषाध्यक्ष रामदास चेतलाल
भाजपा के साथ लम्बे अर्से से सियासत करते रहे भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति, प्रदेश सह कोषाध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाल रहे रामदास चेतलाल की चाहत भी इस बार चुनावी अखाड़े में उतरने की है. संसाधन के मामले में काफी मजबूत माने जाते हैं. बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा के साथ बेहतर रिश्ता का दावा भी किया जाता है, इस हालत में रामदास चेतलाल भी एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं. हालांकि इन तमाम नामों में प्रकाश राम अभी भी रेस में सबसे आगे हैं. और यदि कोई बड़ा उलटफेर नहीं होता है तो फिर एक बार फिर से बैजनाथ राम और प्रकाश राम के बीच मुकाबला देखने को मिल सकता है.
आपको बता दें कि हेमंत कैबिनेट में बैजनाथ राम इकलौता दलित चेहरा हैं, और चुनावी अखाड़े में जाने के बीच ही शिक्षा मंत्री के पद से नवाजा गया है. निश्चित रुप से कैबिनेट मंत्री का यह टैग चुनावी अखाड़े में एक मजबूती प्रदान करेगा, लेकिन यदि भाजपा प्रकाश राम पर एक बार फिर से दांव लगाने का फैसला करती है, तो यह मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है. बैजनाथ राम के समान ही प्रकाश राम के पास भी चुनावी संघर्ष का लम्बा अनुभव है, कई पार्टियों के सफर के साथ ही चुनाव दांवपेंच में भी महारत हासिल है, इस हालत में प्रकाश राम को हल्के में लेने की थोड़ी सी भूल भी बैजनाथ राम पर भारी पड़ सकता है.