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विधान सभा चुनाव 2024: चंदनकियारी का खेल! टाइगर जयराम के फंदे में नेता विपक्ष अमर बाउरी
अमर बाउरी के लिए सियासी संकट का संदेश?
उमाकांत रजक के सामने विकल्प क्या होगा? या तो वह झामुमो के साथ जायें या फिर जयराम का सहारा लें. जयराम के चेहरे के सहारे उमाकांत रजक को कम से कम 35 हजार का प्लस हो सकता है, और यह आंकड़ा विधान सभा पहुंचान के लिए पर्याप्त है.
बोकारो: ढुल्लू महतो और अनुपमा सिंह के मुकाबले इकलाख अंसारी को मैदान में उतारने के सियासी प्रयोग में भले ही टाईगर जयराम को कोई विशेष सफलता हाथ नहीं लगी हो, लेकिन यदि हम लोकसभा चुनाव में प्राप्त वोटों को विधान सभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में समझने की कोशिश करते हैं, तो कई बदलाव सामने आता दिखता है. इसके लिए बेहद जरुरी है कि पूरे धनबाद संसदीय सीट पर अनुपमा सिंह, ढुल्लू महतो और एकलाख अंसारी को प्राप्त वोटों को सामने रखें.
विधानसभा वार प्राप्त वोटों की संख्या
झरिया विधान सभा में अनपुमा सिंह को 58870, ढुल्लू महतो को 96028 और एकलाख अंसारी को 2170 वोट मिला है, धनबाद विधान सभा में अनुपमा सिंह को 89412, ढुल्लू महतो- 151379 और एकलाख अंसारी हिस्से 5034 वोट आया, निरसा में अनुपमा सिंह को 70979, ढुल्लू महतो-139319 और ढुल्लू महतो को 2107 वोट आया, सिंदरी में अनुपमा सिंह को 87239, ढुल्लू महतो को 128476 और इकलाख अंसारी के खाते में 18937 वोट मिला, बोकारो में अनुपमा सिंह को 102141, ढुल्लू महतो को 167044 और एकलाख अंसारी को 15287 वोट प्राप्त हुआ, जबकि चंदनकयारी विधान सभा में अनुपमा सिंह को 43717, ढुल्लू महतो को 100177 और एकलाख अंसारी को 35350 मतदाताओं का प्यार मिलता है.
चंदनकयारी से जयराम को उम्मीद
यानि धनबाद लोकसभा के कुल छह विधान सभा में से एकलौता चंदनकयारी है, जहां से एकलाख अंसारी को ठीक-ठाक वोट मिला है, और अनुपमा सिंह से महज 8 हजार पीछे रहा है. इस हालत में सवाल खडा होता है कि क्या विधान सभा चुनाव में जयराम महतो यहां कोई खेल करने की स्थिति में हैं? निश्चित रुप से 35 हजार का आंकड़ा कम नहीं होता, और यदि एकलाख को सामने रख कर जयराम 35 हजार वोट हासिल करने में सफल रहते हैं, तो अनुसूचित जाति आरक्षित इस विधान सभा में एक अनूसूचित जाति के चेहरा के सहारे मुकाबले को त्रिकोणीय जरुर बनाया जा सकता है. हालांकि उस हालत में सीट निकल ही जायेगा, यह तो दांवे के साथ नहीं कहा जा सकता, लेकिन मुकाबला रोचक जरुर होगा. खास कर उस स्थिति में जब अमर बाउरी के सामने इस बार जनता को अपने पांच साल का हिसाब देने की चुनौती होगी, वैसे भी यह सीट अमर बाउरी के लिए कोई आसान सीट नहीं रही है.
उमाकांत रजक और अमर बाउरी के बीच कांटे का संघर्ष
ध्यान रहे कि वर्ष 2014 में अमर बाउरी ने बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो के बनैर तले चुनाव लड़ा और कुल 81,925 पाया था, जबकि आजसू के उमाकांत रजक को 47,761 वोट मिले थें, लेकिन इसके पहले वर्ष 2009 में अमर बाउरी को उसी उमाकांत रजक के हाथों करीबन तीन हजार से मात भी खाना पड़ा था, जबकि वर्ष 2019 में अमर बाउरी को 67,739 वोट मिले थें, जबकि उमाकांत रजक को 58,528 वोट के साथ दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था.
उमाकांत रजक की पलटी के साथ ही बदल सकता है खेल.
उमाकांत रजक के सामने विकल्प क्या होगा?
चूंकि इस बार भाजपा आजसू साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली है, इस हालत में निश्चित रुप से यह सीट अमर बाउरी के हाथ जायेगी. इस हालत में उमाकांत रजक के सामने विकल्प क्या होगा? या तो वह झामुमो के साथ जायें या फिर जयराम का सहारा लें. जयराम के चेहरे के सहारे उमाकांत रजक को कम से कम 35 हजार का प्लस हो सकता है, और यह आंकड़ा उमाकांत रजक को विधान सभा पहुंचान के लिए पर्याप्त है. यानि इस रणनीति के तहत अमर बाउरी को जयराम की सुनामी का शिकार होना पड़ सकता है, लेकिन यदि उमाकांत रजक आजसू के साथ अपनी वफादारी निभाते हैं, तो जयराम के पास किसी दूसरे चेहरे पर भी दांव लगाने का विकल्प खुला हुआ, बशर्ते वह भी एक युवा चेहरा और सामाजिक समीकरण को पूरा करता हो, इस हालत में देखना होगा कि विधान सभा चुनाव आते-आते क्या समीकरण बनता, बिगड़ता है, लेकिन इतना तय है कि इस बार चंदनक्यारी में जयराम की इंट्री होने जा रही है, जेबीकेएसएस का कोई ना कोई चेहरा मैदान में जरुर होगा.