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हटिया के जंग में विक्रम आदित्य जायसवाल की एंट्री! पंजा का जोर या नवीन जायसवाल का चौका
हटिया के सामाजिक समीकरण में आदित्य जायसवाल की दावेदारी मजबूत
इसी सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश में इस बार कांग्रेस विक्रम आदित्य जायसवाल को मोर्चे पर उतारने का इरादा रखती है. हालांकि आज की स्थिति में भी अजय नाथ शाहदेव उम्मीदवारों की रेस में बने हुए हैं, लेकिन अंदरखाने यह चर्चा भी है इस बार कांग्रेस विक्रम आदित्य जायसवाल पर दांव खेल सकती है, और उसका कारण है कि हटिया विधानसभा का सामाजिक समीकरण
रांची: कभी हटिया विधानसभा की गिनती भाजपा के गढ़ में हुई करती थी. जनसंघ से सियासी सफर की शुरुआत करने वाले रामजी लाल सारडा इसी हटिया सीट से वर्ष 1990, 1995 और वर्ष 2000 में लगातार तीन बार विधायक बनें. लेकिन वर्ष 2005 में कांग्रेस के गोपाल एस.एन. शाहदेव ने यह सीट अपने नाम कर लिया. वर्ष 2009 का मुकाबला भी गोपाल एस.एन. शाहदेव के नाम ही रहा. इस बीच गोपाल एस.एन. शाहदेव की आकस्मिक मौत हो गयी और उपचुनाव की घोषणा हुई और इसी उपचुनाव से हटिया की सियासत में नवीन जायसवाल की एंट्री होती है. आजसू के टिकट पर नवीन जायसवाल ने ना सिर्फ यह सीट अपने नाम किया, बल्कि हटिया से जीत का चौका लगाने का रामजी लाल सारडा का सपना भी धवस्त कर दिया. नवीन जायसवाल जैसे युवा चेहरे के हाथों रामजी लाल सारडा की हार, इस बात का प्रमाण था कि हटिया की जनता अब किसी पके-पकाये अनभुवी चेहरे के बजाय युवा चेहरे के साथ आगे बढ़ना चाहती है. लेकिन नवीन जायसवाल भी सियासी दांव पेंच के कम बड़े उस्ताद नहीं निकले. जीत के साथ ही आजसू को अलविदा कहते हुए बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो मोर्चा का दामन थाम लिया. वर्ष 2014 में झाविमो मोर्चा के चुनाव चिह्न पर मोर्चा खोला. इस बार भाजपा की ओर से सीमा शर्मा ने मोर्चा संभाला था, लेकिन जीत की वरमाला एक बार फिर से नवीन जायसवाल के हिस्से आयी. इस जीत के साथ ही नवीन जायसवाल ने एक और पलटी मारी. बाबूलाल को गुडबॉय कहते हुए भाजपा का दामन थामने का फैसला किया और वर्ष 2019 में एक बार फिर से भाजपा के कमल चुनाव चिह्न पर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहें.
खत्म हुआ भाजपा का 19 वर्षों का सूखा
इस प्रकार 1990,1995 और 2000 की जीत के बाद नवीन जायसवाल ने 2019 में हटिया में भाजपा का झंडा लहराया और 19 वर्षो का यह वनवास किसी पके-पकाये भाजपाई के बजाय ऑपरेशन कमल के सहारे एंट्री लिये नवीन जायसवाल के हाथों खत्म हुआ. लेकिन 19 वर्षों का वनवास खत्म करने नवीन जायसवाल को क्या भाजपा वर्ष 2024 में अपना चेहरा बनायेगी? इसको लेकर सियासी गलियारों में कई सवाल है. आज भी नवीन जायसवाल भाजपा कार्यकर्ताओं का सर्वमान्य-स्वाभाविक पसंद नहीं है. बाहरी होने का टैग है. दूसरी ओर ऑपरेशन कमल के सहारे नवीन जायसवाल को भाजपा में एंट्री करवाने वाले रघुवर दास ओडिशा का राजभवन पहुंच चुके हैं और जिस बाबूलाल को गच्चा देकर नवीन जायसवाल ने कमल खिलाया था, आज वही बाबूलाल भाजपा के नये सियासी बॉस है. प्रदेश अध्यक्ष के रुप में टिकट बंटवारें में बाबूलाल का भी मजबूत दखल होगा और उस हालत में बाबूलाल का साथ नवीन जायसवाल को कितना मिल पायेगा? यह भी देखने वाली बात होगी.
कांग्रेस का चेहरा कौन? जीत की मंजिल दूर नहीं
लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि इस बार नवीन जायसवाल के सामने कांग्रेस अपना चेहरा किसे बनाने जा रही है. क्या कांग्रेस एक बार फिर से अजय नाथ शाहदेव पर ही दांव लगायेगी या किसी दूसरे चेहरे पर दांव खेलेगी. आपको बता दें कि वर्ष 2019 में मुकाबले में अजय नाथ साहदेव ने नवीन जायसवाल के सामने एक मजबूत चुनौती पेश की थी. उस मोदी लहर में नवीन जायसवाल को 115,431 मतों के साथ जीत तो मिली गयी थी, लेकिन अजय नाथ शाहदेव ने भी 99,167 वोट हासिल कर इस बात को प्रमाणित कर दिया था कि कांग्रेस के पास भी मजबूत सियासी जमीन है, यदि वह सामाजिक समीकरणों को साधते हुए दांव खेलती है तो जीत की मंजिल भी दूर नहीं है.
हटिया के सामाजिक समीकरण में आदित्य जायसवाल की दावेदारी
शायद इसी सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश में इस बार कांग्रेस विक्रम आदित्य जायसवाल को मोर्चे पर उतारने का इरादा रखती है. हालांकि आज की स्थिति में भी अजय नाथ शाहदेव उम्मीदवारों की रेस में बने हुए हैं, लेकिन अंदरखाने यह चर्चा भी है इस बार कांग्रेस विक्रम आदित्य जायसवाल पर दांव खेल सकती है, और उसका कारण है कि हटिया विधानसभा का सामाजिक समीकरण. हटिया विधानसभा में करीबन 28 फीसदी आदिवासी और 15 फीसदी मुस्लिम के साथ ही एक बड़ी संख्या में वैश्य मतदाताओं की आबादी है. आदिवासी और अल्पसंख्यकों को पहले से ही इंडिया गठबंधन का कोर वोटर माना जाता है दोनों मिलाकर करीबन 43 फीसदी के आसपास होता है, पिछली बार नवीन जायसवाल को 45 फीसदी मतदाताओं का साथ मिला था, यदि विक्रम आदित्य जायसवाल के चेहरे के सहारे वैश्य जाति के मतदाता, जिन्हे भाजपा का कोर वोटर माना जाता है, में आंशिक सेंधमारी भी होती है, तो हटिया सीट से चौका मारने का नवीन जायसवाल का ख्वाब अधर में फंस सकता है. हालांकि अभी टिकट का वितरण नहीं हुआ है, लेकिन विक्रम आदित्य जायसवाल की सक्रियता तेज हो चुकी है, जनसम्पर्क अभियान जोर पकड़ने लगा है. लोगों से भेंट-मुलाकात की शुरुआत हो चुकी है.