अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस : हमेशा हुआ बदनाम, यह पक्षी प्रकृति के लिए वरदान

नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)। 'अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस' हर साल सितंबर महीने के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विलुप्त होते गिद्धों की रक्षा करना और उनके बारे में जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसा पक्षी है जिसे हमेशा गलत समझा जाता है।

लेकिन गिद्ध पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, लगातार गलतफहमियों, दवा निर्माण और मानवीय गतिविधियों के कारण इनकी आबादी लगातार कम होती जा रही है।

बता दें कि गिद्ध प्रकृति की सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं। वह मरे हुए जानवरों का मांस खाकर एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गिद्धों के पेट में बहुत ज्यादा एसिड होता है। यह एसिड इतना शक्तिशाली होता है कि यह बोटुलिज़्म और हैजा जैसे विष को पचा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि उन क्षेत्रों में पशुओं और मनुष्यों में बीमारियों में वृद्धि हुई है जहां गिद्धों की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई है।

दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मुहावरे और कहावतें हैं, जो गिद्धों के बारे में नकारात्मक धारणा को दर्शाती हैं। जैसे कि "गिद्ध मानसिकता के लोग : किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करना जो लाभ उठाने के लिए दूसरों के असफल होने का इंतजार करता है। गिद्ध की तरह चक्कर लगाना : लोग लाभ उठाने के लिए बुरी घटनाओं के घटित होने की प्रतीक्षा करते हैं। ऐसे कई नकारात्मक मुहावरे और कहावतें लोगों के मन में गिद्धों के प्रति नकारात्मकता भर चुकी हैं।

सभी मुहावरे और कहावतें बताते हैं कि गिद्धों के बारे में नकारात्मक सोच इंसानों में कितनी गहराई तक समाई हुई है। प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, उन्हें अक्सर मृत्यु और क्षय जैसे शब्दों से जोड़ा जाता है। विडंबना यह है कि मानव संस्कृति ने गिद्धों को लालच, शोषण और अवसरवाद के प्रतीक में बदल दिया है।

अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस पर अपनी मानसिकता बदलें और गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के रूप में देखते हुए उनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं। इस दिन को मनाते हुए हमें प्रजनन कार्यक्रमों, हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाने और उनके वास्तविक मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के माध्यम से गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए। अब समय आ गया है कि पुरानी नकारात्मक छवियों से आगे बढ़ा जाए और प्रकृति में गिद्धों की महत्वपूर्ण, जीवनदायी भूमिका को स्वीकार किया जाए।

--आईएएनएस

आरके/एफजेड

Edited By: Samridh Bharat

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